श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
(सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी अर्ध शताधिक अलंकरणों /सम्मानों से अलंकृत/सम्मानित हैं। आपकी लघुकथा “रात का चौकीदार” महाराष्ट्र शासन के शैक्षणिक पाठ्यक्रम कक्षा 9वीं की “हिंदी लोक भारती” पाठ्यपुस्तक में सम्मिलित। आप हमारे प्रबुद्ध पाठकों के साथ समय-समय पर अपनी अप्रतिम रचनाएँ साझा करते रहते हैं। आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता “मैं भारत हूँ… ”।)
☆ तन्मय साहित्य #195 ☆
☆ मैं भारत हूँ… ☆ श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ ☆
देश भारत है, मेरा नाम
यहाँ तीरथ हैं चारों धाम
काशी की सुबह
अवध की शाम
विराजे राम और घनश्याम,
सभी का करता, स्वागत हूँ
देवों की यह पुण्य भूमि
मैं पावन भारत हूँ।
छह ऋतुओं का धारक मैं,सब नियत समय पर आए
सर्दी, गर्मी, वर्षा, निष्ठा से निज कर्म निभाए
मौसम के अनुकूल, पर्व त्यौहार जुड़े सद्भावी
उर्वर भूमि यह, खनिज धन-धान्य सभी उपजाए।
संस्कृति है मौलिक आधार
करे सब इक दूजे से प्यार
बहे खुशियों की यहाँ बयार,
सुखद जीवन विस्तारक हूँ
देवों की यह पुण्य भूमि मैं पावन भारत हूँ।
समता ममता करुणा कृपा, दया पहचान हमारी
अनैकता में बसी एकता, यह विशेषता भारी
विध्वंशक दुष्प्रवृत्तियों ने, जब भी पैर पसारे
है स्वर्णिम इतिहास, सदा ही वे हमसे है हारी।
राह में जब आए व्यवधान
सुझाए पथ गीता का ज्ञान
निर्जीवों में भी फूँके प्राण
वंचितों का उद्धारक हूँ
देवों की यह पुण्य भूमि मैं पावन भारत हूँ।
कल-कल करती नदियाँ,यहाँ बहे मधुमय सुरलय में
पर्वत खड़े अडिग साधक से, जंगल-वन अनुनय में
सीमा पर जवान, खेतों में श्रमिक, किसान जुटे हैं
अजय-अभय,अर्वाचीन भारत निर्मल भाव हृदय में।
हो रहा है चहुँदिशी जय नाद
परस्पर प्रेम भाव अनुराग
रहे नहीं मन में कहीं विषाद
स्नेह की सुदृढ़ इमारत हूँ
देवों की यह पुण्य भूमि में पावन भारत हूँ।
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© सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
जबलपुर/भोपाल, मध्यप्रदेश, अलीगढ उत्तरप्रदेश
मो. 9893266014
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈