श्री एस के कपूर “श्री हंस”
☆ मुक्तक ☆ ।। मैं उसकी बात करूँ, वो मेरी बात करे ।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆
[1]
हाथों में सब के ही सब का हाथ हो।
एक दूजे के लिए मन से साथ हो।।
जियो और जीने दो, एक ईश्वर की संतानें।
बात यह दिल में हमेशा ही याद हो।।
[2]
सुख सुकून हर किसी का आबाद हो।
हर किसी के लिए संवेदना यही फरियाद हो।।
हर किसीके लिए सहयोग बस ये हो सरोकार।
मानवीय रूपी ही एक दूसरे से संवाद हो।।
[3]
हर दिल में बस स्नेह नेह का ही लगाव हो।
दिल के भीतर तक बसता प्रेम का भाव हो।।
प्रभाव नहीं हो किसी पर घृणा के दंश का।
आपस में मीठे बोल का नहीं कहीं अभाव हो।।
[4]
हर कोई दूसरे के जज्बात की ही बात करे।
हो विश्वास का बोलबाला ना घात प्रतिघात करे।।
स्वर्ग सा ही हिल मिल कर रहें धरती पर हम।
मैं बस तेरी बात करूं, और तू मेरी बात करे।।
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© एस के कपूर “श्री हंस”
बरेली
मोब – 9897071046, 8218685464