श्री आशिष मुळे
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ दिन-रात # 13 ☆
☆ कविता ☆ “यारा तेरी याद आवे…” ☆ श्री आशिष मुळे ☆
यारा तेरी याद आवे
गिरे पतझड़ रास्ते आवे
चलते चलते उन पे
क्यूँ दिल ये दुखावे
होवे समय सियाही
चल दे कागज उत्थे
कल होवे जल यू
दर्पण आज भिगोवे क्यूँ
यारा तेरी याद आवे
है गुल खिले हुए
मन बने भवरा यू
इतना सा ही शहद क्यूँ
होवे रात ज्यादा काली
जुल्फों की चादर ओढ़े
माप लू धागे धागे यू
मुझसे इतनी दूरी क्यूँ
यारा तेरी याद आवे
घायल मन पायल सुनावे
घड़ी घड़ी समय यू
खाली हात क्यूँ आवे…
© श्री आशिष मुळे
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈