☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक सहित्य # 226 ☆
आलेख –बधाई इसरो… 🚀 चांद पर भारत 🇮🇳
(प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ जी के साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक साहित्य ” में हम श्री विवेक जी की चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं। श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र जी, मुख्यअभियंता सिविल (म प्र पूर्व क्षेत्र विद्युत् वितरण कंपनी , जबलपुर ) से सेवानिवृत्त हैं। तकनीकी पृष्ठभूमि के साथ ही उन्हें साहित्यिक अभिरुचि विरासत में मिली है। आपको वैचारिक व सामाजिक लेखन हेतु अनेक पुरस्कारो से सम्मानित किया जा चुका है।आज प्रस्तुत है एक आलेख – बधाई इसरो… चांद पर भारत …।)
आजाद भारत में अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक विक्रम साराभाई हैं। उन्हीं के नाम पर इसरो ने चंद्र मिशन के चंद्रमा पर उतरने वाले लैंडर का नाम विक्रम रखा है। विक्रम शब्द का अर्थ होता है वीरता। बेहद तेज गति के राकेट से धरती से चंद्रमा तक की लम्बी यात्रा के बाद सधे हुये, धीमे धीमे, बिना टूट फूट के चंद्रमा की उबड़-खाबड़ सतह पर सफलता से उतरना सचमुच वीरता का काम है। इसरो का चंद्रयान -2 मिशन अपने इसी चरण में विफल रहा था क्योंकि उसका लैंडर 7 सितंबर 2019 को सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास करते समय लैंडर में ब्रेकिंग सिस्टम में विसंगतियों के कारण चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।
विक्रम अपने कोख में मिशन के लक्ष्य रोवर प्रज्ञान को संभाले हुये है। प्रज्ञान का अर्थ ज्ञान होता है। लैँडर से रिलीज होकर अब प्रज्ञान चंद्रमा की सतह पर धीमी गति से मजे में १४ दिनो तक लगभग आधा किलोमीटर घूमे फिरेगा। पृथ्वी के ये चौदह दिन चंद्रमा का महज एक दिन होगा। प्रज्ञान एक रोबोटिक वेहिकल है, जिसमें कृत्रिम बुद्धि युक्त अनेक उपकरण लगे हैं। प्रज्ञान में ६ चके हैं, यह २७ किलो का है। यह मात्र ५० वाट की सौर उर्जा से संचालित होता है। प्रज्ञान, विक्रम को स्पेक्ट्रो-पोलरिमेट्री तथा फोटो संदेशे देकर अपनी खोज से अवगत करायेगा। विक्रम वह सारी जानकारी चंद्रमा के गिर्द घूमते आर्बीटर के माध्यम से धरती पर इसरो को भेजेगा। चित्र तथा डाटा एनालिसिस से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के बारे में हम छिपे हुये रहस्य जान सकेंगे। अनुमान है कि इस क्षेत्र में पर्याप्त मात्रा में बर्फ हो सकती है। जिसका उपयोग भविष्य के मिशन में ईंधन और ऑक्सीजन निकालने के साथ-साथ पीने के पानी के लिए भी किया जा सकता है।
आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रमिशन ३ के लिये लॉन्च वेहिकल मार्क थ्री, अंतरिक्ष की यात्रा पर १४ जुलाई २३ को रवाना किया गया था। चंद्रमा की यात्रा पर भारत के इस सबसे भारी अंतरिक्ष यान, पर सामने की सीट पर सवार होकर चला विक्रम पहले धरती की परिक्रमा करता रहा। फिर पृथ्वी से सबसे दूरी वाली कक्षा से इसे चंद्रमा की ओर भेजा गया। चंद्रमा की कक्षा में पहुच जाने के बाद धीरे धीरे यान की कक्षा की परिधि छोटी की गईं। सबसे निचली कक्षा में विक्रम को प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग कर दिया गया था। बिलकुल तय योजना के अनुसार विक्रम चांद पर उतर गया।
अन्य देशों के प्रयासों की चर्चा करे तो रॉयटर्स ने रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस के हवाले से बताया गया है कि लूना 25 नियंत्रण खोकर क्रेश हो चुका है। जापान भी चंद्रमा की सतह पर उतरने की योजना के साथ लांच की तैयारी में है।
इस तरह भारत के चंद्र प्रोजेक्ट ने दुनियां में फिर से चांद पर खोज को हवा दी है। शीत युद्ध की समाप्ति तथा आर्थिक मंदी से ये अन्वेषण बरसों से बंद थे।
फिलहाल बधाई है बधाई।
भारत की सफलता के लाभ दुनियां को और सारी मानवता को मिलने तय हैं।
© विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’
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