डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं “भावना के दोहे…”।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 197 – साहित्य निकुंज ☆
☆ भावना के दोहे… ☆
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जीवन में तुम दर्द का, मत लेना अब नाम।
अंधकार अब ढल चुका, पिएं खुशी का जाम।।
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अब तो हमने तोड़ दी, मिलने की हर आस।
खुशियों ने भी ले लिया, जीवन से सन्यास।।
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सोच समझकर आजकल, मुख अपना तू खोल।
प्यार सभी का चाहिए, वाणी मीठी बोल।।
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गड़बड़ मौसम ने किया, होती हमसे भूल।
आकर उसने दे दिया, इक गुलाब का फूल।।
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© डॉ भावना शुक्ल
सहसंपादक… प्राची
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≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈