श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी के साप्ताहिक स्तम्भ “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है “मनोज के दोहे…”। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।
मनोज साहित्य # 96 – मनोज के दोहे… ☆
झकोर
उमस पूर्ण वातावरण,आई पवन झकोर।
सुख शीतलता दे गई, मन आनंद विभोर।।
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विभोर
मानस की चौपाइयाँ, तन-मन करे विभोर।
तुलसी जी का ग्रंथ चहुँ, लुभा रहा चितचोर।।
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चकोर
प्रेमी के मन में बसा, प्रियतम चाँद चकोर।
चंद्रयान ने कर दिया, अंत-भ्रमित का शोर।।
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चितचोर
आंतरिक्ष में रच दिया, भारत ने इतिहास।
बना विश्व चितचोर यह, अनुसंधानी खास।।
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हिलोर
चंद्रयान थ्री ने दिया, विश्व जगत में मान।
उठती हृदय हिलोर है, भारत हुआ महान।।
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© मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
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