श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी के साप्ताहिक स्तम्भ “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है “मनोज के दोहे…”। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।
मनोज साहित्य # 97 – मनोज के दोहे… ☆
1 कृष्ण
कृष्ण-कुंज ब्रज भूमि में, मनमोहक संस्थान।
रथ पर थे श्री कृष्ण खुद, अर्जुन को दें ज्ञान।।
☆
2 राधिका
कृष्ण-राधिका अमर हैं, त्याग प्रेम का रूप।
मन मंदिर में हैं बसे, मुख छवि देव अनूप।।
☆
3 घनश्याम
उमस बढ़ी गर्मी हुई, सावन का विश्राम ।
आँखें रोज निहारतीं, दिखें नहीं घनश्याम ।।
☆
4 कान्हा
कान्हा गोकुल छोड़ कर, पहुँचे कंस निवास।
अत्याचारी-राज्य का, अंत किया बिंदास ।।
☆
5 माखनचोर
नाम अनेकों कृष्ण के, उनमें माखनचोर।
भारत भू को तारने, लगा दिया था जोर।।
☆
© मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
संपर्क – 58 आशीष दीप, उत्तर मिलोनीगंज जबलपुर (मध्य प्रदेश)- 482002
मो 94258 62550
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈