डॉ. ऋचा शर्मा

(डॉ. ऋचा शर्मा जी को लघुकथा रचना की विधा विरासत में  अवश्य मिली है  किन्तु ,उन्होंने इस विधा को पल्लवित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी । उनकी लघुकथाएं और उनके पात्र हमारे आस पास से ही लिए गए होते हैं , जिन्हें वे वास्तविकता के धरातल पर उतार देने की क्षमता रखती हैं। आप ई-अभिव्यक्ति में  प्रत्येक गुरुवार को उनकी उत्कृष्ट रचनाएँ पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है  स्त्री विमर्श आधारित एक विचारणीय लघुकथा ‘जेनरेशन गैप’। डॉ ऋचा शर्मा जी की लेखनी को सादर नमन।)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – संवाद  # 127 ☆

☆ लघुकथा – जेनरेशन गैप ☆ डॉ. ऋचा शर्मा ☆

‘माँ! मुझे हॉस्टल में नहीं रहना है, बहुत घुटन होती है वहाँ। शाम को सात बजे ही हॉस्टल में आकर कैद हो जाओ। लगता है जैसे जानवरों की तरह पिंजरे में बंद हों। मुझे अपने दोस्तों के साथ फ्लैट में रहना है। ‘

‘बेटी! अनजान शहर में लड़कियों के लिए हॉस्टल में रहना ही अच्छा होता है, सुरक्षा रहती है। हॉस्टल के कुछ नियम होते हैं, उन्हें मानना चाहिए। और मैं भी यहाँ निश्चिंत रहती हूँ ना!। ‘

 ‘ये नियम नहीं बंधन हैं, जेल में कैदी के जैसे। और नियम सिर्फ लड़कियों के हॉस्टल के लिए होते हैं? लड़कों के हॉस्टल में तो ऐसा कोई नियम नहीं होता कि उन्हें हॉस्टल में कब आना है और कब जाना है, उन्हें सुरक्षा नहीं चाहिए क्या?’

माँ सकपकाई – ‘हाँ- हाँ — लड़कों के हॉस्टल में भी ये नियम होने चाहिए। पर लड़कियाँ अँधेरा होने से पहले घर आ जाएं तो मन निश्चिंत हो जाता है बेटी! अँधेरे में जरा डर बना रहता है। ‘

‘क्यों? क्या दिन में लड़कियाँ सुरक्षित हैं? आपको याद है ना! दिन में ट्रेन में चढ़ते समय क्या हुआ था मेरे साथ? ‘

‘हाँ – हाँ, रहने दे बस, सब याद है’ – माँ ने बात को टालते हुए कहा – ‘पर चिंता तो —– ‘

‘पर – वर कुछ नहीं, मुझे बताईए कि इसमें क्या लॉजिक है कि लड़कियों को घर जल्दी आ जाना चाहिए। हॉस्टल में बताए गए समय पर गेट के अंदर आओ, फिर मैडम के पास जाकर हाजिरी लगाओ। और यह चिंता- विंता की रट क्या लगा रखी है? कब तक यही कहती रहेंगी आप? बोलिए ना! ‘

माँ चुप रही — ‘आप मानती ही नहीं, खैर छोड़िए, बेकार है आपसे बात करना। आप कभी नहीं समझेंगी मेरी इन बातों को ’, यह कहकर बेटी पैर पटकती हुई चली गई।

बेटी की नजर में दुराचार की घटनाओं के लिए रात -दिन बराबर थे।

माँ की आँखों में रात के अंधकार में घटी बलात्कार की सुर्खियाँ जिंदा थीं।

© डॉ. ऋचा शर्मा

प्रोफेसर एवं अध्यक्ष – हिंदी विभाग, अहमदनगर कॉलेज, अहमदनगर. – 414001

संपर्क – 122/1 अ, सुखकर्ता कॉलोनी, (रेलवे ब्रिज के पास) कायनेटिक चौक, अहमदनगर (महा.) – 414005

e-mail – [email protected]  मोबाईल – 09370288414.

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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