सुश्री दीपा लाभ
(सुश्री दीपा लाभ जी का ई-अभिव्यक्ति में हार्दिक स्वागत। आप बर्लिन (जर्मनी) में एक स्वतंत्र पत्रकार हैं। हिंदी से खास लगाव है और भारतीय संस्कृति की अध्येता हैं। वे पिछले 14 वर्षों से शैक्षणिक कार्यों से जुड़ी हैं और लेखन में सक्रिय हैं। आपकी कविताओं की एक श्रृंखला “अब वक़्त को बदलना होगा” को हम श्रृंखलाबद्ध प्रकाशित करने का प्रयास कर रहे हैं। आप प्रत्येक शनिवार को इस श्रृंखला की कविता आत्मसात कर सकेंगे।)
☆ कविता ☆ अब वक़्त को बदलना होगा – भाग -1 ☆ सुश्री दीपा लाभ ☆
[1]
इस धरती पर जो आये हो
मन को कठोर करना होगा
एक दिन में कुछ बदलता नहीं
वर्षों तक तप करना होगा
समाज जगाना है गर आज
भाषण नहीं, आचरण होगा
अब वक्त को बदलना होगा
☆
कुछ सरल-सहज नहीं होता
जब तक अन्दर झंकार ना हो
उस हासिल का कोई मोल नहीं
मेहनत जिसमें दिन-रात ना हो
दुर्दशा का रोना बहुत हुआ
अब दशा आप बदलना होगा
हो गया बहुत आरोप-प्रत्यारोप
अब वक़्त को बदलना होगा
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© सुश्री दीपा लाभ
बर्लिन, जर्मनी