श्री एस के कपूर “श्री हंस”
☆ “श्री हंस” साहित्य # 86 ☆
☆ मुक्तक ☆ ।।यहीं इसी धरती पर हमें, स्वर्ग बनाना है।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆
[1]
हो विरोध कटुता फिर बात प्यार की नहीं होती।
हो मत मन भेद तो बात इकरार की नहीं होती।।
जब दिल का कोना कोना नफरत में लिपटता है।
तो कोई बात आपस में सरोकार की नहीं होती।।
[2]
हम भूल जाते कोई अमर नहीं एक दिन जाना है।
जाकर प्रभु से ही कर्मों का खाता जंचवाना है।।
ऊपर जाकर स्वर्ग नर्क की चिंता मत करो अभी।
हो तेरी कोशिश हर क्षण यहीं स्वर्ग बनाना है।।
[3]
एक ही मिला जीवन कि बर्बाद नहीं करना है।
मन में नकारात्मकता आबाद नहीं करना है।।
चाहें सब के लिए सुख तो हम भी सुख ही पायेंगे।
भूल से भी किसीको गलत फरियाद नहीं करना है।।
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© एस के कपूर “श्री हंस”
बरेली
मोब – 9897071046, 8218685464