श्री जय प्रकाश पाण्डेय
(श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी की पहचान भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी के अतिरिक्त एक वरिष्ठ साहित्यकार की है। वे साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके व्यंग्य रचनाओं पर स्व. हरीशंकर परसाईं जी के साहित्य का असर देखने को मिलता है। परसाईं जी का सानिध्य उनके जीवन के अविस्मरणीय अनमोल क्षणों में से हैं, जिन्हें उन्होने अपने हृदय एवं साहित्य में सँजो रखा है। आज प्रस्तुत है आपके – “पितृ पक्ष विशेष – ‘दो माइक्रो व्यंग्य‘…”।)
☆ पितृ पक्ष विशेष – ‘दो माइक्रो व्यंग्य’ ☆ श्री जय प्रकाश पाण्डेय ☆
एक
कल गये थे घर,
कांव कांव करते हुए
मुंडेर पर बैठे रहे।
कुछ नहीं दिया
बहू ने……
दो
हमारी भी इच्छा थी
कि हो आएंगे
देख आएंगे
अपना पुराना घर
पर मंहगाई के डर से
नहीं गये
क्या मालूम
घर में दाना पानी
का जुगाड़
है कि नहीं……
© जय प्रकाश पाण्डेय
416 – एच, जय नगर, आई बी एम आफिस के पास जबलपुर – 482002 मोबाइल 9977318765
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈