सुश्री दीपा लाभ
(सुश्री दीपा लाभ जी, बर्लिन (जर्मनी) में एक स्वतंत्र पत्रकार हैं। हिंदी से खास लगाव है और भारतीय संस्कृति की अध्येता हैं। वे पिछले 14 वर्षों से शैक्षणिक कार्यों से जुड़ी हैं और लेखन में सक्रिय हैं। आपकी कविताओं की एक श्रृंखला “अब वक़्त को बदलना होगा” को हम श्रृंखलाबद्ध प्रकाशित करने का प्रयास कर रहे हैं। आज प्रस्तुत है इस श्रृंखला की अगली कड़ी।)
☆ कविता ☆ अब वक़्त को बदलना होगा – भाग – 6 ☆ सुश्री दीपा लाभ ☆
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नेताओं की क्या बात करें
वे अन्य जगत के प्राणी हैं
हर नियम आम जनता के लिए
इन्हें करनी अपनी मनमानी है
ये मुफ्तखोरी से पलते हैं
अपनी बातों से मुकरते हैं
सेवा के नाम पर आए दिन
राजनीति की रोटियाँ सेकते हैं
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इनकी सच्चाई सामने है
फिर भी जैसे आज़ाद ये हैं
ना जूं रेंगती कानों में
ना लाज बची है आँखों में
अब पानी सर से ऊपर है
तो इनको भी सुनना होगा
बहुत छल लिया गड़ेरिया बन
अब इन्हें भेड़ बनना होगा
अब वक़्त को बदलना होगा
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© सुश्री दीपा लाभ
बर्लिन, जर्मनी