(प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ जी के साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक साहित्य ” में हम श्री विवेक जी की चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं। श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र जी, मुख्यअभियंता सिविल (म प्र पूर्व क्षेत्र विद्युत् वितरण कंपनी , जबलपुर ) से सेवानिवृत्त हैं। तकनीकी पृष्ठभूमि के साथ ही उन्हें साहित्यिक अभिरुचि विरासत में मिली है। आपको वैचारिक व सामाजिक लेखन हेतु अनेक पुरस्कारो से सम्मानित किया जा चुका है।आज प्रस्तुत है आपकी एक विचारणीय आलेख – डीप फेक है यह दुनियां ।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक सहित्य # 242 ☆
आलेख – डीप फेक है यह दुनियां
शाश्वत सत्य तो यह है कि यह दुनियां ही डीप फेक है, ब्रह्म सत्यं जगत मिथ्या। पर अब आँखों देखी, कानों सुनी पर भरोसे का जमाना लद गया। नया जमाना डीप फेक एडिटिंग से आभासी दृश्य को यथार्थ के स्तर का बना कर पाठ, चित्र, ऑडियो और वीडियो उत्पन्न करने का है। साफ्टवेयर के खतरनाक अनुप्रयोगों में से एक डीप फेक है। सिंथेटिक मीडिया टेक्नीक का उपयोग किसी व्यक्ति के चेहरे या आवाज़ को दूसरे व्यक्ति से स्वैप कर बदलने का विज्ञान डीप फेक तकनीक है। असल और नकल में से अब असल का पता लगा पाना कठिन होता जा रहा है। साइबर अपराधी इस तरह के आडियो वीडीयो बनाने के लिये कृत्रिम बुद्धिमत्ता तकनीक का इस्तेमाल करते हैं। अब वीडीयो साक्ष्य बेमानी हो चले हैं। डीप फेक भरोसे की धज्जियां उड़ा रही तकनीक है। उतावलेपन, धन के लिये किसी भी स्तर तक अमर्यादित व्यवहार और इंटरनेट पर गुमशुदा पहचान की सुविधा के चलते असम्पादित वीडियो के दुष्प्रचार से व्हाट्सअप भरा पड़ा है। हर मोबाईल में जाने अनजाने टनो में ऐसा कूड़ा ओवर लोड है। जब तक किसी पर विश्वास करो उसका खण्डन आ जाता है, अविश्वसनीयता चरम पर है।
सबसे पहले 2017 में इस तरह के एक फर्जी अनाम उपयोगकर्त्ता ने खुद को “डीप फेक” लिख कर नेट पर प्रस्तुत किया था। उस अनाम इंटरनेट उपयोगकर्त्ता ने अश्लील वीडियो बनाने और पोस्ट करने के लिये गूगल की ओपन-सोर्स, डीप-लर्निंग तकनीक में हेरफेर किया था। तब से यह हेरा फेरी डीप फेक ही कही जाने लगी। घोटाले और झाँसे, सेलिब्रिटी पोर्नोग्राफी, चुनाव में हेर-फेर, सोशल इंजीनियरिंग, स्वचालित दुष्प्रचार के हमले, पहचान की चोरी और वित्तीय धोखाधड़ी आदि जैसे गलत उद्देश्यों के लिये डीप फेक का भरपूर दुरुपयोग अब बहुत आम हो चला है। डीप फेक तकनीक का उपयोग पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा, डोनाल्ड ट्रंप, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आदि ख्यात लोगों तक के मीम वीडियो बनाने के लिये हो चुका है। डीप फेक से बनाई गई कितनी ही अभिनेत्रियों की अश्लील तस्वीरें और वीडियो से इंटरनेट भरा हुआ है।
डीप फेक के माध्यम से दुष्प्रचार के प्रसार को रोकने के लिये एक अद्यतन आचार संहिता अब जरूरी है। यदि विश्वसनीयता को जिंदा रखना है तो गूगल, मेटा, इंस्टा, ट्विटर सहित सोशल मीडीया तकनीकी प्लेटफॉर्म पर डीप फेक और फर्जी खाते का मुकाबला करने के सघन उपाय करने की आवश्यकता है। डीप फेक से जुड़े मुद्दों को हल करने के लिये समाज में मीडिया साक्षरता में जागरूखता लाने और निरंतर सुधार करते रहने की आवश्यकता है, क्योंकि डीप फेक तू डाल डाल मैं पात पात वाली तकनीक है। दुनियां भर में सबको इसके सकारात्मक उपयोग खोजने होंगे और नकारात्मक पहलुओ पर विराम लगाते रहना होगा। फैक्ट चैक रिसर्च अब एक नया व्यवसाय बन गया है।
© विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’
ए 233, ओल्ड मिनाल रेजीडेंसी भोपाल 462023
मोब 7000375798
ईमेल [email protected]
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈