डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं भावना के दोहे…।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 208 – साहित्य निकुंज ☆
☆ भावना के दोहे … ☆ डॉ भावना शुक्ल ☆
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डोली को अगवा किया, गायब हुए कहार।
माली के षड़यंत्र से, बंदी हुई बहार ॥
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चंदन करता चाकरी, दुर्गन्धी दरबार |
कुन्दन को अब मिल रही, गली-गली दुत्कार ॥
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सागर से कब बुझ सकी, कभी किसी की प्यास
जीते हैं चातकव्रती, स्वाति बिन्दु की आस ।।
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राजनीति का शोरगुल, छलछंदी व्यवहार।
श्वेत कबूतर उड़ गये, अपने पंख पसार ॥
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भीतर बाहर अँधेरा, घेरा काँटेदार।
आज़ादी अभिव्यक्ति की, सिर पर है तलवार ॥
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© डॉ भावना शुक्ल
सहसंपादक… प्राची
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