(प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ जी के साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक साहित्य ” में हम श्री विवेक जी की चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं। श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र जी, मुख्यअभियंता सिविल (म प्र पूर्व क्षेत्र विद्युत् वितरण कंपनी , जबलपुर ) से सेवानिवृत्त हैं। तकनीकी पृष्ठभूमि के साथ ही उन्हें साहित्यिक अभिरुचि विरासत में मिली है। आपको वैचारिक व सामाजिक लेखन हेतु अनेक पुरस्कारो से सम्मानित किया जा चुका है।आज प्रस्तुत है आपकी एक विचारणीय लघुकथा – रील बनाम रियल लाइफ।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक सहित्य # 244 ☆
लघुकथा – रील बनाम रियल लाइफ
उसने कैमरा स्टैंड पर लगाया, फोकस किया और हिट गाने के मुखडे पर, अधखुले कपड़ों में बेहूदे बेढ़ब लटके झटके का डांस कैमरे में कैद किया। थोड़ी एडिटिंग करनी पड़ी, पर उसे लगता है एक बढ़िया रील बन गई। इंस्टा, फेसबुक, यू ट्यूब हर प्लेटफार्म पर प्लीज लाइक, शेयर, सब्सक्राइब की रिक्वेस्ट करते हुये रील अपलोड कर दी। उसके फालोअर हजारों में हो चुके हैं। उसने सोचा यदि यह रील हिट हो गई तो अकेले यू ट्यूब से ही इतनी कमाई तो हो ही जायेगी कि इस महीने बापू के इलाज में जो खर्च पड़ा है वह निकल जायेगा। पर वह रील के हिट्स पर भरोसा नहीं कर सकती थी। उसने रील बनाने के लिये पहने हुये कपड़े बदले और रियल लाइफ का सामना करने के लिये तैयार होकर काम पर निकल पड़ी।
© विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’
ए 233, ओल्ड मिनाल रेजीडेंसी भोपाल 462023
मोब 7000375798
ईमेल [email protected]
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈