श्री आशिष मुळे
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ दिन-रात # 26 ☆
☆ कविता ☆ “हाल-ए-दिल…” ☆ श्री आशिष मुळे ☆
ए आसमां, क्या हाल है तेरा
क्या हाल-ए-दिल में
है जैसे खाली पड़ा
मेरा हाल तुम जैसा
दिल में बसे घना अंधेरा
हाय! धड़कन में खिले सवेरा
जैसे है रोशन
भीतर जले मगर सूरज
बस हाल वही मेरा
या डूबे गहराई में
दिल समंदर का
हाल वहीं दिल-दर्या का
तलाश तुम्हे किस आवाज की
रोशनी कौनसी सूरज जला रही
किसकी याद में, दर्या की खामोशी
वहीं चांद मेरी वजह
जैसे तुम तीनों की परेशानी
उसकी पर्दा नशीं परछाई
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© श्री आशिष मुळे
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈