श्री एस के कपूर “श्री हंस”
☆ “श्री हंस” साहित्य # 94 ☆
☆ मुक्तक ☆ ।।कर्म पूजा,ऊर्जा,सफलता मंत्र है।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆
[1]
घना कोहराआगेअंधेरा नज़र कुछआता न हो।
हो तनाव अवसाद और कुछ भाता न हो।।
पर मत सोचना फिर भी नकारात्मक विचार।
जो सकारात्मक ऊर्जा जीवन में लाता न हो।।
[2]
आपकी सोचऔर ऊर्जा जीतआधार बनती है।
आपकी उचित जीवन शैली कारगार बनती है।।
कर्म ही पूजा कर्म ही मन्त्र है सफलता का।
उत्साह से ही जाकर जिंदगी शानदार बनती है।।
[3]
संकल्प,दृढ़ दृष्टिकोण हों जीवन के प्रमुखअंग।
अनुशासन हीनता हो तो लग जाती है जंग।।
सतत कोशिशऔर बार बार का करना अभ्यास।
निरंतर प्रयास हो और कभी नहीं हो ध्यान भंग।।
[4]
जीवन एक कर्मशाला जगह ऐशो आराम नहीं है।
है यह संघर्ष तपोवन कोई घृणा मैदान नहीं है।।
पलायन से बदनाम न कर इसअनमोल जीवन को।
बिन किये उपकार उतरता यह एहसान नहीं है।।
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© एस के कपूर “श्री हंस”
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