डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत है उनकी ममतामयी माँ (कथाकार एवं कवयित्री स्मृतिशेष डॉ गायत्री तिवारी जी ) के आठवें जन्म स्मृति के अवसर पर एक अविस्मरणीय कविता ‘माँ तुम याद बहुत आती हो’।)
☆ माँ तुम याद बहुत आती हो ☆
☆
माँ तुम याद बहुत आती हो
बस सपने में दिख जाती हो .
☆
पूछा है तुमसे, एक सवाल
छोड़ गई क्यों हमें इस हाल
जीवन हो गया अब वीराना
तेरे बिना सब है बेहाल
कुछ मन की तो कह जाती तुम
मन ही मन क्यों मुस्काती हो ।
☆
माँ तुम याद बहुत आती हो
बस सपने में दिख जाती हो .
मुझमे बसती तेरी धड़कन
पढ़ लेती हो तुम अंतर्मन
☆
तुमको खोकर सब है खोया
एक झलक तुम दिखला जाती .
जाने की इतनी क्यों थी जल्दी
हम सबसे क्यों नहीं कहती हो ।
☆
माँ तुम याद बहुत आती हो
हम सबको तुम तरसाती हो ।
☆
© डॉ भावना शुक्ल
सहसंपादक… प्राची
प्रतीक लॉरेल, J-1504, नोएडा सेक्टर – 120, नोएडा (यू.पी )- 201307
मोब. 9278720311 ईमेल : [email protected]
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈