डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं भावना के दोहे…।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 212 – साहित्य निकुंज ☆
☆ भावना के दोहे … ☆ डॉ भावना शुक्ल ☆
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हवाएं धीमी बह रही, बजे मधुर संगीत।
नई कहानी वो कहे, है जीवन की रीत।।
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कलियां कैसे मिल रही, जैसे मिलती बाह।
कली खिली है ह्रदय में, है आपस में चाह।।
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पत्ते – पत्ते झर रहे, झरता है संगीत।
सुख -दुख के वो गा रहे, गाए प्यार का गीत।।
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हौले- हौले चल रही, पकड़े ठंडक हाथ।
मौसम करवट बदलता, ठंडी हवा के साथ।।
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© डॉ भावना शुक्ल
सहसंपादक… प्राची
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