श्री श्याम खापर्डे
(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता “# नववर्ष की सुबह #”)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 160 ☆
☆ # नववर्ष की सुबह # ☆
नये साल की नई सुबह है
मुस्कुराने की वजह है
झूम रही है दुनिया सारी
खुशियां बिखरी हर जगह है
बागों में भंवरों की गुनगुन है
चूम रहे कलियों को चुन-चुन है
मदहोशी में हैं अल्हड़ यौवन
पायल की बजती रुनझुन है
नव किरणों की अठखेलियां हैं
ओस की बूंदों से लिपटी कलिया हैं
महक रही है बगिया बगिया
खुशबू लुटाती फूलों की डलिया हैं
वो युगल गा रहे हैं प्रेम के गीत
लेकर बांहों में अपने मीत
आंखों के सागर में डूबे
अमर कर रहे हैं अपनी प्रीत
मजदूर बस्ती के वंचित परिवार
झेल रहे जो महंगाई की मार
मध्य रात्रि से देख रहे हैं
पैसे वालों का यह त्यौहार
नई सुबह के नए हैं सपने
कौन पराया सब हैं अपने
भेदभाव सब मिटा दो यारों
लगो प्रेम की माला जपने
नववर्ष में नए विचार हो
दया, करूणा और प्यार हो
कोई ना रह जाए वंचित
सब के दामन में खुशियां अपार हो /
© श्याम खापर्डे
फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो 9425592588
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