श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी के साप्ताहिक स्तम्भ “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण रचना “जीवन का लेखा-जोखा है…”। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।
मनोज साहित्य # 110 – जीवन का लेखा-जोखा है… ☆
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जीवन का लेखा-जोखा है।
जिन्दा रहे तभी चोखा है।।
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सही राह पर जब हम चलते,
सच्ची दौलत का खोखा है।।
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गीता में उपदेश लिखा सुन,
रिश्ते-नाते सब धोखा है।
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जब-जब श्रम सम्मानित होता,
बहे-पसीने को सोखा है।
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जीवन-धन सबने है पाया,
सबका भाग्य अनोखा है।
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तन का मकाँ बनाया उसने,
इन्द्रियाँ-आँख झरोखा है।
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© मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
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