श्री संतोष नेमा “संतोष”
(आदरणीय श्री संतोष नेमा जी कवितायें, व्यंग्य, गजल, दोहे, मुक्तक आदि विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं. धार्मिक एवं सामाजिक संस्कार आपको विरासत में मिले हैं. आपके पिताजी स्वर्गीय देवी चरण नेमा जी ने कई भजन और आरतियाँ लिखीं थीं, जिनका प्रकाशन भी हुआ है. आप डाक विभाग से सेवानिवृत्त हैं. आपकी रचनाएँ राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में लगातार प्रकाशित होती रहती हैं। आप कई सम्मानों / पुरस्कारों से सम्मानित/अलंकृत हैं. “साप्ताहिक स्तम्भ – इंद्रधनुष” की अगली कड़ी में आज भगवान श्री राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर प्रस्तुत है मोरे मन में रम गए राम…। आप श्री संतोष नेमा जी की रचनाएँ प्रत्येक शुक्रवार आत्मसात कर सकते हैं।)
☆ साहित्यिक स्तम्भ – इंद्रधनुष # 198 ☆
☆ मोरे मन में रम गए राम.. ☆ श्री संतोष नेमा ☆
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दर्श बिनु मोहि कहाँ विश्राम
मोरे मन में रम गए राम
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आज अवध में राम बिराजे
ढोल-मृदंग मंजीरा बाजे
अवध में नाचें चारों धाम
मोरे मन में रम गए राम
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सरयू सलिला पुलकित भारी
प्राण प्रतिष्ठित अवध बिहारी
जिनकी छवि सुंदर अभिराम
मोरे मन में रम गए राम
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धर्म-ध्वजा घर-घर फहराएं
दीप आरती थाल सजाएं
प्रफुल्लित नगर नगर हर ग्राम
मोरे मन में रम गए राम
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सरयू तीर लगा है मेला
राम भक्ति की सुंदर वेला
सबको मिलता सुखद मुकाम
मोरे मन में रम गए राम
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सबके सफल करें प्रभु काम
“सतोष” राम शरण सुखधाम
मोरे मन में रम गए राम
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© संतोष कुमार नेमा “संतोष”
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