श्री संतोष नेमा “संतोष”
(आदरणीय श्री संतोष नेमा जी कवितायें, व्यंग्य, गजल, दोहे, मुक्तक आदि विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं. धार्मिक एवं सामाजिक संस्कार आपको विरासत में मिले हैं. आपके पिताजी स्वर्गीय देवी चरण नेमा जी ने कई भजन और आरतियाँ लिखीं थीं, जिनका प्रकाशन भी हुआ है. आप डाक विभाग से सेवानिवृत्त हैं. आपकी रचनाएँ राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में लगातार प्रकाशित होती रहती हैं। आप कई सम्मानों / पुरस्कारों से सम्मानित/अलंकृत हैं. “साप्ताहिक स्तम्भ – इंद्रधनुष” की अगली कड़ी में आज भगवान श्री राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर प्रस्तुत है अवध में आये श्री रघुवीर…। आप श्री संतोष नेमा जी की रचनाएँ प्रत्येक शुक्रवार आत्मसात कर सकते हैं।)
☆ साहित्यिक स्तम्भ – इंद्रधनुष # 199 ☆
☆ अवध में आये श्री रघुवीर.. ☆ श्री संतोष नेमा ☆
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अवध में आये श्री रघुवीर
दरस बिन आये चैन न धीर
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हम सदियों से राह निहारें
प्रभु चरणन में प्रेम जुहारें
मिटी वर्षों की संचित पीर
अवध में आये श्री रघुवीर
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गली – गली अरु द्वारे -द्वारे
खूब सजे हैँ वंदन बारे
द्रवित नयनों से बरसे नीर
अवध में आये श्री रघुवीर
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सीता संग लक्ष्मण भी आए
भक्त पवनसुत हैँ हर्षाए
बाँटते हैं सब मिसरी खीर
अवध में आये श्री रघुवीर
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द्वार खड़ा “संतोष” पुकारे
लगा रहा प्रभु के जयकारे
वंदना करते सरयू तीर
अवध में आये श्री रघुवीर
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दरश बिन होता हृदय अधीर
अवध में आये श्री रघुवीर
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© संतोष कुमार नेमा “संतोष”
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