डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं भावना के दोहे… मन मयूर।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 218 – साहित्य निकुंज ☆
☆ भावना के दोहे – मन मयूर ☆ डॉ भावना शुक्ल ☆
☆
व्याकुल मन ये कर रहा, पाऊँ तेरा साथ।
पकडूँगा अब एक दिन, गोरी तेरा हाथ।।
*
विधि – विधान से मिल गया, तेरा ही उपहार।
साथ रहेगा हमेशा, तेरा मेरा प्यार।।
*
पलक खोलकर दिन गया, बीत गई है रात।
आशा के आकाश से, खूब हुई बरसात।।
*
खोल रहे संदूक को, दिखे पुराने चित्र।
बीती यादें बंद है, प्यारे -प्यारे मित्र।।
*
देखो इस संदूक को, रखना तुम संभाल।
जब -जब आऊँ याद मैं, खोल लेना हर हाल।।
*
मन मयूरी नाच रहा, मरुथल में बरसात।
रोम -रोम कलियाँ खिली, महके सारी रात।।
☆
© डॉ भावना शुक्ल
सहसंपादक… प्राची
प्रतीक लॉरेल, J-1504, नोएडा सेक्टर – 120, नोएडा (यू.पी )- 201307
मोब. 9278720311 ईमेल : [email protected]
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈