श्री एस के कपूर “श्री हंस”
☆ “श्री हंस” साहित्य # 99 ☆
☆ गीत ☆ ।। माता पिता सु सम्मान की हर तदबीर बेटी से है।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆
[1]
मां बाप के सुख की होती लकीर बेटी है।
मात पिता सम्मान की तकदीर बेटी से है।।
[2]
जिसके आंगन बेटी वहां पड़ी प्रभु छाया है।
रौनक बसती उस घर जहां बेटी का साया है।।
प्रेम स्नेह विश्वास की होती नजीर बेटी है।
मां बाप के सुख की होती लकीर बेटी है।।
[3]
परिवार के दुःख दर्द में पहले रोती बेटी है।
भाइयों के लिए त्याग में पहले होती बेटी है।।
माता पिता खुश रखने की तरकीब बेटी है।
मां बाप के सुख की होती लकीर बेटी है।।
[4]
दो परिवारों को एक सूत्र में बांधती बेटी है।
दोनों घरों का ही सुख दुःख बांटती बेटी है।।
मां बाप लिए कोशिश भी होकर फकीर बेटी है।
मां बाप के सुख की होती लकीर बेटी है।।
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© एस के कपूर “श्री हंस”
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