श्री जय प्रकाश पाण्डेय
(श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी की पहचान भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी के अतिरिक्त एक वरिष्ठ साहित्यकार की है। वे साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके व्यंग्य रचनाओं पर स्व. हरीशंकर परसाईं जी के साहित्य का असर देखने को मिलता है। परसाईं जी का सानिध्य उनके जीवन के अविस्मरणीय अनमोल क्षणों में से हैं, जिन्हें उन्होने अपने हृदय एवं साहित्य में सँजो रखा है। आज प्रस्तुत है आपकी एक विचारणीय कविता – “क्यों भागें अब लड़कियां”।)
☆ कविता – “क्यों भागें अब लड़कियां” ☆ श्री जय प्रकाश पाण्डेय ☆
अब लड़कियां
घर से नहीं भागतीं
क्योंकि उन्होंने
पढ़ ली है कविता
कवि आलोक धन्वा की,
अब पृथ्वी घूमती हुई
चलीआती है उनके
बैचेन पैरों के पास,
अब वे उड़ाती है पतंग
हवा की धारा के खिलाफ
बेकार पड़ी चीजों को
वे बटोर लेतीं हैं
फटे जीन्स की जेब में
हरियाली की तरह
© जय प्रकाश पाण्डेय
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