श्री राकेश कुमार
(श्री राकेश कुमार जी भारतीय स्टेट बैंक से 37 वर्ष सेवा के उपरांत वरिष्ठ अधिकारी के पद पर मुंबई से 2016 में सेवानिवृत। बैंक की सेवा में मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान के विभिन्न शहरों और वहाँ की संस्कृति को करीब से देखने का अवसर मिला। उनके आत्मकथ्य स्वरुप – “संभवतः मेरी रचनाएँ मेरी स्मृतियों और अनुभवों का लेखा जोखा है।” आज प्रस्तुत है आलेख की शृंखला – “देश -परदेश ” की अगली कड़ी।)
☆ आलेख # 69 ☆ देश-परदेश – मृत्यु:! …शाश्वत सत्य ☆ श्री राकेश कुमार ☆
मृत्यु शब्द सुनकर ही हम सब भयभीत हो जाते हैं। ये भी हो सकता है, इस टाइटल को देखकर ही कुछ लोग इस लेख तक को डिलीट कर देंगे। कुछ बिना पढ़े ही हाथ जोड़ने वाला इमोजी चिपका देंगें।
अधिकतर सभी समूहों में किसी का भी मृत्यु समाचार साझा किया जाता है, तो हमारे संस्कार हाथ जोड़ने के लिए प्रेरित करते हैं। अनेक बार हम उस व्यक्ति के परिचय में भी नहीं होते हैं। अधिकतर में वो समूह के सदस्य भी नहीं होते हैं।
सदस्यों की संवेदनाएं और सहानुभूतियां उसी समूह तक ही सीमित रह जाती हैं। सड़क मार्ग में जब किसी भी धर्मावंबली की शव यात्रा हमारे मार्ग के करीब से भी गुजरती है, तो प्रायः सभी राहगीर खड़े होकर सम्मान प्रकट करते हैं। ये हमारे संस्कारों में भी हैं, दूसरा हम सब को मृत्यु से डर भी लगता है।
कल हमारे बहुत सारे समूहों में सुश्री पूनम पांडे जी का कैंसर से युवा आयु में मृत्यु का समाचार प्रेषित हुआ। हमने भी ॐ शांति, RIP जैसे चलित शब्दों से अपनी संवेदनाएं प्रकट कर शोक व्यक्त कर एक अच्छे सामाजिक प्राणी का परिचय दिया।
कुछ सदस्यों ने तो उनके सम्मान में कशीदे भी लिख दिए थे। उनको अव्वल दर्जे की सामाजिक, सर्वगुण सम्पन्न, महिला शक्ति/ अभिमान, मिलनसार, व्यक्तित्व ना जाने उनके व्यक्तित्व की तारीफ के अनेक पुल बांधे। एक ने तो उनको पदमश्री सम्मान दिए जाने की अनुशंसा भी कर दी थी।
आज जानकारी मिली की उनकी मृत्यु का झूठा समाचार व्यवसाय वृद्धि के लिए किया गया था। मृत्यु को भी पैसा कमाने का साधन बना कर, उन्होंने एक नया पैमाना स्थापित कर दिया है।
हमारे यहाँ ऐसा कहा जाता है, जब किसी के जीवित रहते हुए, अनजाने या गलती से मृत्यु का समाचार प्रसारित हो जाता है, तो उसकी आयु में और वृद्धि हो जाती हैं। हालांकि सुश्री पांडे के मामले में इस प्रकार की गलत जानकारी जान बूझकर फैलाई गई थी। शायद “जिंदा लाश” शब्द से सुश्री पूनम को प्रेरणा मिली होगी।
© श्री राकेश कुमार
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