श्री श्याम खापर्डे
(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता “# दिल और दिमाग #”)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 164 ☆
# बसंत के आगमन पर # ☆
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जब सुबह की अल्हड़ किरणें
कलियों को चूमती है
तब यह सारी कायनात
प्रेम के रंग में डूबकर
मस्ती मे झूमती है
*
फूलों के मेले लगते हैं
स्वागत द्वार
हर तरफ सजते हैं
तरूणाई मदहोशी में
बहकती है
युवक युवतियां
उन्माद में चहकती हैं
हर तरफ
मनमोहक सुगंध है
हर काया में
मंत्र मुग्ध करती गंध है
ये विचरण करती
यौवन से लदी बालाएं
अंग अंग पर लिपटी
हुई मालाऐं
दिन-रात
प्रेम की मदिरा में डूबे हैं
आंखों ही आंखों में
छुपे हुए मंसूबे हैं
यह बयार हर दिल में
प्रीत जगाती है
बसंत के मादक मौसम में
बसंत सेना, चारूलता
की याद दिलाती है
*
क्या यह ऋतु राज बसंत
अपने आगमन के साथ
बसंत सेना – चारूलता की
कहानी दोहरायेगा ?
क्या कोई वीर आर्यक
समस्थानक का मद
चूर कर पायेगा ?
या
पतझड़ के बाद आया हुआ
यह मदमस्त बसंत
ऋतु राज बसंत
इन रंगीनियों में डूबकर
झूठ और फरेब में छुपकर
मदिरा के मोह में
अप्सराओं की खोह में
माया से लिपटा हुआ
पद-प्रतिष्ठा के अहंकार से
चिपटा हुआ
हमेशा की तरह
चुपचाप चला जायेगा ?
या व्यवस्था के हाथों
बिक जायेगा ?
या जाते जाते
कोई परिवर्तन लायेगा ? /
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© श्याम खापर्डे
फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो 9425592588
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈