श्री एस के कपूर “श्री हंस”
☆ “श्री हंस” साहित्य # 101 ☆
☆ गीत ☆ ।।बस चार दिन रैन बसेरा यही जिंदगानी है।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆
[1]
इस दुनिया के रैन बसेरे में चार दिन रहना है।
जीत लो बस दिल सब का ही यही कहना है।।
तेरे कर्म मीठे बोल बस यही साथ जायेंगे।
मिले सबका संग साथ ये जीवन का गहना है।।
[2]
बहुत कम समय मिलता बस साथ बिताने लिए।
मत गवां देना इसे बस तुम रूठने मनाने लिए।।
शिकवा शिकायत में ये वक्त ही न निकल जाये।
बस तैयार रहना हमेशा हर रिश्ता निभाने लिए ।।
[3]
नज़र के फेर में तुम नज़ारों को मत गवां देना।
खो कर यकीन तुम सहारों को मत गवां देना।।
उठो ऊपर कितना भी पर जुड़ना जमीं के साथ।
भगा तेज नाव तुम किनारों को ही मत गवां देना।।
[4]
जीवन प्रतिध्वनि लौट कर भी आती आवाज वही है।
अच्छा बुरा झूठ सच मानअपमान का आगाज यही है।।
जैसा दोगे वैसा पाओगे यही नियम है सृष्टि का।
अच्छे सुखी सफल जीवन का एक ही जवाब यही है।।
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© एस के कपूर “श्री हंस”
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