श्री राकेश कुमार
(श्री राकेश कुमार जी भारतीय स्टेट बैंक से 37 वर्ष सेवा के उपरांत वरिष्ठ अधिकारी के पद पर मुंबई से 2016 में सेवानिवृत। बैंक की सेवा में मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान के विभिन्न शहरों और वहाँ की संस्कृति को करीब से देखने का अवसर मिला। उनके आत्मकथ्य स्वरुप – “संभवतः मेरी रचनाएँ मेरी स्मृतियों और अनुभवों का लेखा जोखा है।” आज प्रस्तुत है आलेख की शृंखला – “देश -परदेश ” की अगली कड़ी।)
☆ आलेख # 71 ☆ देश-परदेश – आज के बच्चे कल के नेता ☆ श्री राकेश कुमार ☆
वर्षों पूर्व हमारे देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू जी ने इस बात को लेकर अपने उदगार व्यक्त किए थे।
विगत दो तीन वर्षों से फरवरी माह में सड़कों पर बड़ी और खुली कारों जिसको आजकल एसयूवी के नाम से जाना जाता है,में स्कूल के अंतिम वर्ष के छात्र और छात्राएं खुले आम यातायात के नियमों की अवेहलेना करते हुए दृष्टिगोचर होते हैं।
स्कूल से परीक्षा पूर्व विदाई कार्यक्रम को अब सड़कों पर कार की खिड़कियों से लटकते हुए,हाथों में मोबाइल से लाइव प्रसारण भी होता रहता हैं।
परिवार के सदस्य सब से बड़े दोषी है, जो बिना लाइसेंस प्राप्त बच्चों को कार की चाबियां देकर कहते है, जिंदगी के मज़े ले लो। वैसे इसको फैशन परेड भी कहा जा सकता हैं। हमारे परिवारों की बेटियां भी इन सब में बेबाकी से भाग लेती है,वरन तरुणों को जोखिम भरे कदम उठाने के लिए उकसाती भी हैं। बाज़ार में बिना छत की कार भी किराए से लेकर इस नग्नता का हिस्सा बनती हैं।
ये, ही बच्चे कल के नेता बनकर देश को आगे बढ़ाएंगे। हमारे नेता भी तो आजकल जनता के बीच में “रोड शो” करने के समय इसी प्रकार से कारों से लटकते हुए देखे जा सकते हैं। कुछ नेता ट्रैक्टर पर बड़ी संख्या में बैठ कर “सड़क सुरक्षा” को परिभाषित करते हैं। शायद हमारे बच्चे इन नेताओं के चरण चिन्हों पर चलकर आने वाले समय में आज के बच्चे देश की बागडोर संभाल सकने में सक्षम होंगे।
ये ही बिगड़े हुए बच्चे स्कूल से उत्तीर्ण होकर महाविद्यालय में छात्र यूनियन के नेता बन जायेंगे। राजनैतिक दल भी छात्र नेताओं को प्राथमिकता से अपने अपने दल में ग्रहण कर लेते हैं।
नियम और कानून की धज्जियां उड़ाने वाले व्यक्ति ही हमारे नेता बनने में सक्षम होते हैं।
© श्री राकेश कुमार
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