डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं भावना के दोहे…।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 221 – साहित्य निकुंज ☆
☆ भावना के दोहे… ☆ डॉ भावना शुक्ल ☆
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भोला भाला मन कहे, विनती सुनो अपार।
करते मन से याचना, हमको प्रभु दो तार ।।
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खानपान का सुख मिले, कभी न हूं लाचार ।
इतना देना प्रभु हमें, देना शक्ति अपार।।
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रोटी हमको चाहिए, बचती उससे जान।
रखने को डिब्बा मिले, नहीं चाहिए शान।।
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© डॉ भावना शुक्ल
सहसंपादक… प्राची
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