डॉ सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
(अग्रज एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी जीवन से जुड़ी घटनाओं और स्मृतियों को इतनी सहजता से लिख देते हैं कि ऐसा लगता ही नहीं है कि हम उनका साहित्य पढ़ रहे हैं। अपितु यह लगता है कि सब कुछ चलचित्र की भांति देख सुन रहे हैं। आप प्रत्येक बुधवार को डॉ सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’जी की रचनाएँ पढ़ सकेंगे। आज के साप्ताहिक स्तम्भ “तन्मय साहित्य ” में प्रस्तुत है अग्रज डॉ सुरेश कुशवाहा जी द्वारा रचित माँ नर्मदा वंदना “समय कब अच्छा रहा है?……..”। )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – तन्मय साहित्य # 34 ☆
☆ समय कब अच्छा रहा है?…….. ☆
हवा के रुख के इर्द-गिर्द
अब हर कोई
“कुछ अलग” कहलाने के लोभ में
लिखे, बोले जा रहे हैं-
‘आज हम ऐसे समय में ..
हम वैसे समय में ..
और न जाने
कैसे समय में जी रहे हैं,
पर वे ये बताने को
कतई तैयार नहीं
वे, पहले,
जैसे समय में जी रहे थे।
कार से उतरकर
कॉरपेट पर चरण रखने वाले
छालों की बात कर रहे हैं
हैं तो इधर के ही
पर प्रदर्शन में उधर से
चल रहे हैं।
© डॉ सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
जबलपुर, मध्यप्रदेश
मो. 989326601