श्री एस के कपूर “श्री हंस”
☆ “श्री हंस” साहित्य # 105 ☆
☆ ।। मुक्तक।। – ।।माँ,बहन,बेटी,पत्नी नारी तेरे रूपअनेक।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆
[1]
माँ से ही सवेरा और माँ से ही होती रात है।
माँ की ममता और प्यार अनमोल सौगात है।।
माँ पास में तो खुशी है दुनिया जहान की।
माँ स्पर्श सुखद मानो प्रथम किरण प्रभात है।।
[2]
बेटियाँ हरदम माँ बाप पर प्यार लुटाती हैं।
बेटियाँ एक नहीं दो वंशों का उद्धार कराती हैं।।
नारी जगतजननी है वो सृष्टि की रचनाकार।
प्रभु का बन प्रतिरूप बेटी जग में आती है।।
[3]
हर रिश्ते के मूलआधार में बेटी होती है।
अपनों की खुशी लिएअपना सुख खोती है।।
दो घरों में बराबर प्यार बाँटती है हर बेटी।
त्याग मूरत बेटी हर दुख में पहले रोती है।।
[4]
नसीब वालों के आंगन में सुंदर बेटी दिखती है।
भाग्यवालों कोही जन्म में पुत्री मिलती है।।
ईश्वर का अवतारऔर उपहार होती हैं बेटियाँ।
किस्मत वालोंआंगन में यह कली खिलती है।।
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© एस के कपूर “श्री हंस”
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