श्री एस के कपूर “श्री हंस”
☆ “श्री हंस” साहित्य # 106 ☆
☆ मुक्तक – ।।वंदना, मां सरस्वती, मां शारदे, मां वीणापाणी, की।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆
हे मां ,हंसवाहिनी, मां शारदे आए तेरी शरण में,
कल्याण कर हमारा, हम सबको तार दे।
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हे मां विद्या की देवी मानवता ज्ञान की पुकार है,
स्नेह से दुलार दे, सब के लिए सरोकर दे।
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तू ही मां सरस्वती, है बुद्धि प्रदाती,
आए हम तेरे द्वारे, सबको ज्ञान का नव प्रकाश दे।
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हे मां वीणापाणी तू निकाल हर विकार दे,
हर मन में भाव परोपकार दे, ऐसा विचारों में उद्धार दे।
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तू जगतारिणी, तू है दया प्रेम की देवी,
महिमा आपार तेरी, इस भवसागर से पार दे।
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हे मां वागेश्वरी, जगतपालिनी, कमल पर तू विराजित,
कष्ट सबका उतार दे, अपने आशीष का हमें उपहार दे।
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हे मां श्वेतवस्त्र धारण, पुस्तकें तेरे ही तो कारण,
आए तेरे वंदन को, अंतर्मन को तू झंकार दे।
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हे मां मधुरभाषिणी, वीणावादिनी, ह्रदय के अंधेरे को,
तू सूर्य का उज्जवल प्रकाश दे।
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हे मां भुवनेश्वरी, तेज तेरा असीम अनंत आपार,
तुझसे होता है आलोकित सम्पूर्ण संसार, हर शत्रु को तू संहार दे।
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तुझको शीश वंदन करते हैं, पूजा अर्चना तेरी करते हैं,
हे मातेश्वरी, बस अपना हाथ शीश पर वार दे।
हम सब को सुधार दे। बस ये एक उपकार कर।।
बस ये एक उपहार दे।।
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© एस के कपूर “श्री हंस”
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