श्री आशिष मुळे
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ दिन-रात # 41 ☆
☆ कविता ☆ “कौन जाने मै कौन हूं…” ☆ श्री आशिष मुळे ☆
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इतना जानू के मै हूं
ना जानू के कौन हूं
*
ना आस्तिक हूं
ना नास्तिक हूं
ख़ुदको जान ना पाऊ
ख़ुदा को कैसे जाननेवाला हू
कौन जाने मै कौन हूं
*
ना हिंदू हूं
ना मुस्लिम हूं
नहीं किसिके पास जवाब
फिर मै कैसे जवाबन हू
कौन जाने मै कौन हूं
*
ना नाम हूं
ना खानदान हूं
अपने तो अपने नहीं लगते
परायों को क्या दिखाने वाला हूं
कौन जाने मै कौन हूं
*
ना सोच हूं
ना खयाल हूं
नहीं खयालात खुदके काबू
सोच से थोड़ी चलने वाला हूं
कौन जाने मै कौन हूं
*
ना जानवर हूं
ना फरिश्ता हूं
कैसे किसी को मिटाऊ
कैसे ख़ुदको बचाने वाला हूं
कौन जाने मै कौन हूं
*
ना वंश हूं
ना निर्वंश हूं
जो लेके आया था
वहीं देके जानेवाला हूं
कौन जाने मै कौन हूं
*
ना आदम हूं
ना हव्वा हूं
यूंही समय की डाली पे
क्या नाचता हुआ एक बंदर हूं
कौन जाने मै कौन हूं
*
कौन जाने मै कौन हूं
कौन बताए मै क्या हूं
चाहें जो बन सकता हूं
चाहें वो दिखा सकता हूं
चलो फिर इंसान ही बन जाता हूं
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© श्री आशिष मुळे
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈