डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं भावना के दोहे – माँ जगदम्बे।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 227 – साहित्य निकुंज ☆
☆ भावना के दोहे – माँ जगदम्बे ☆ डॉ भावना शुक्ल ☆
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मां तुम जननी जगत की, करती जग उद्धार।
कृपा आपकी बरसती, मिलता प्यार अपार।।
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दीप ज्ञान का जल रहा, लगता मां में ध्यान।
राह कठिन है मां करो, मेरा तुम कल्याण।।
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ब्रह्मचारिणी मातु को, करते सभी प्रणाम।
नौ देवी की नवरात्रि, द्वितीय तेरे नाम।।
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तप करती तपश्चारिणी, निर्जला निराहार।
हाथ जोड़कर पूजते, हो देवी अवतार।।
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करना अंबे दया तुम, रखना मेरी लाज।
भाव भक्ति से कर रहे, माता तेरे काज।।
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© डॉ भावना शुक्ल
सहसंपादक… प्राची
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