श्री जय प्रकाश श्रीवास्तव
(संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं अग्रज साहित्यकार श्री जय प्रकाश श्रीवास्तव जी के गीत, नवगीत एवं अनुगीत अपनी मौलिकता के लिए सुप्रसिद्ध हैं। आप प्रत्येक बुधवार को साप्ताहिक स्तम्भ “जय प्रकाश के नवगीत ” के अंतर्गत नवगीत आत्मसात कर सकते हैं। आज प्रस्तुत है आपका एक भावप्रवण एवं विचारणीय नवगीत “नभ उड़ानों पर लिया…” ।)
जय प्रकाश के नवगीत # 49 ☆ नभ उड़ानों पर लिया… ☆ श्री जय प्रकाश श्रीवास्तव ☆
साधकर पर पाखियों ने
नभ उड़ानों पर लिया।
क्या करें आखिर
कटे जो पेड़ थे
चल पड़े कुछ लोग
जो बस भेड़ थे
पिया अमृत घट जिन्होंने
कंठ भर कर विष दिया।
डालियों पर बाँध
अपनी हर व्यथा
लिख वनस्पतियों में
जीवन की कथा
स्वर मिलाकर स्वरों से
दर्द सारा पी लिया।
चोंच में भरकर
आशा की किरन
पाँव में भटके
ठिकानों की चुभन
फड़फड़ाते रास्तों पर
गीत कोई गा लिया।
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© श्री जय प्रकाश श्रीवास्तव
सम्पर्क : आई.सी. 5, सैनिक सोसायटी शक्ति नगर, जबलपुर, (म.प्र.)
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≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈