(प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ जी के साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक साहित्य ”  में हम श्री विवेक जी की चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं। श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र जी, मुख्यअभियंता सिविल  (म प्र पूर्व क्षेत्र विद्युत् वितरण कंपनी , जबलपुर ) से सेवानिवृत्त हैं। तकनीकी पृष्ठभूमि के साथ ही उन्हें साहित्यिक अभिरुचि विरासत में मिली है। आपको वैचारिक व सामाजिक लेखन हेतु अनेक पुरस्कारो से सम्मानित किया जा चुका है।आज प्रस्तुत है आपका एक ज्ञानवर्धकआलेख  – देश में बिजली आने की कहानी। 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक सहित्य # 279 ☆

? आलेख – देश में बिजली आने की कहानी ?

1899 में कोलकाता के कुछ हिस्से में अंग्रेजो ने शाम के समय बिजली के प्रकाश की व्यवस्थाये कर दिखाईं थी. 20वीं शताब्दी की शुरुआत में १९०५ में दिल्ली में भी बिजली से प्रकाश व्यवस्था का प्रारंभ हुआ. शुरुआती दौर में डीजल से बिजली बनाई जाती थी. 1911 के तीसरे दिल्ली दरबार के समय जब अंग्रेज राजा ने बुराड़ी के कोरोनेशन पार्क में आयोजित एक समारोह में ब्रिटिश भारत की राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित करने की घोषणा की, उसी साल यहां पर भाप से बिजली उत्पादन स्टेशन बनाया गया. अंग्रेजों ने 20वीं सदी के पहले दशक में भारतीय परंपरा की नकल करते हुए दिल्ली में दो दरबार सन 1903 एवं 1911 में किए, जिनमें बिजली से साज-सजावट की गई. लियो कोल्मैन ने अपनी पुस्तक ‘ए मॉरल टेक्नॉलजी, इलेक्ट्रिफिकेशन एज पॉलिटिकल रिचुअल इन न्यू डेल्ही’ में भारत की राजधानी के बिजलीकरण के बहाने सांस्कृतिक राजनीति, राजनीतिक सोच को आकार देने में प्रौद्योगिकी की भूमिका को रेखांकित किया है. ‘दिल्ली, पास्ट एंड प्रेजेन्ट’ के लेखक एच सी फांशवा ने पूर्व (यानी भारत) में बिजली की रोशनी की शुरुआत पर चर्चा करते हुए इसे एक फिजूल खर्च के रूप में खारिज कर दिया था. उसने तर्क देते हुए कहा कि दिल्ली में कलकत्ता के विपरीत कारोबार शाम के समय खत्म हो जाता है. ऐसे में मिट्टी के तेल से होने वाली रोशनी ही काफी है. ‘मैसर्स जॉन फ्लेमिंग’ नामक एक अंग्रेज कंपनी ने दिल्ली में 1905 में पहला डीजल पावर स्टेशन बनाया था. इस कंपनी के पास बिजली बनाने और डिस्ट्रीब्यूशन दोनों की जिम्मेदारी थी.

जॉन फ्लेमिंग कंपनी’ ने पुरानी दिल्ली में लाहौरी गेट पर दो मेगावाट का एक छोटा डीजल स्टेशन बनाया. बाद में इसका नाम ‘दिल्ली इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई एंड ट्रैक्शन कंपनी’ हो गया. 1911 में, बिजली उत्पादन के लिए स्टीम जनरेशन स्टेशन यानी भाप से बिजली बनाने वाले स्टेशन की शुरुआत हुई. ‘दिल्ली गजट, 1912’ के अनुसार, बिजली से रोशनी के मामले में दिल्ली किसी भी तरह से दुनियां से पिछड़ी नहीं थी. 1939 में दिल्ली सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी पॉवर अथॉरिटी बनाई गई थी.

समय के साथ युग परिवर्तन हुआ, विकास और विस्तार होता रहा. आज बिजली उत्पादन थर्मल, हाइडल, एटामिक, विंड से होते हुए सोलर पॉवर तक आ पहुंचा है.

* * * *

© विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ 

म प्र साहित्य अकादमी से सम्मानित वरिष्ठ व्यंग्यकार

संपर्क – ए 233, ओल्ड मिनाल रेजीडेंसी भोपाल 462023

मोब 7000375798, ईमेल [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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