स्व. डॉ. राजकुमार तिवारी “सुमित्र”
(संस्कारधानी जबलपुर के हमारी वरिष्ठतम पीढ़ी के साहित्यकार गुरुवर डॉ. राजकुमार “सुमित्र” जी को सादर चरण स्पर्श । वे आज भी हमारी उंगलियां थामकर अपने अनुभव की विरासत हमसे समय-समय पर साझा करते रहते हैं। इस पीढ़ी ने अपना सारा जीवन साहित्य सेवा में अर्पित कर दिया। वे निश्चित ही हमारे आदर्श हैं और प्रेरणास्रोत हैं। आज प्रस्तुत हैं आपका भावप्रवण कविता – कथा क्रम (स्वगत)…।)
साप्ताहिक स्तम्भ – लेखनी सुमित्र की # 189 – कथा क्रम (स्वगत)…
(नारी, नदी या पाषाणी हो माधवी (कथा काव्य) से )
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सुनता रहा हूँ
बाल्यकाल से
वेद, पुराण, उपनिषद, रामायण
और
महाभारत की कथाएँ।
युवावस्था में
उन्हें
बाँचा
टूट गया साँचा
कल्पना का।
जाग उठीं
जिज्ञासाएँ
किससे पूछें
किसे बतायें?
अतीत के अंधेरे से
निकलकर
मन के शिलालेख पर
टैंकने लगीं छवियाँ, चित्र
और चरित्र,
सीता, तारा, मन्दोदरी
अहल्या, कुन्ती, द्रौपदी
सत्यवती
और
माधवी ।
दीक्षान्त में
गुरु दक्षिणा देने का
हठाग्रह किया
शिष्य गालव ने ।
क्रमशः आगे —
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© डॉ राजकुमार “सुमित्र”
साभार : डॉ भावना शुक्ल
112 सर्राफा वार्ड, सिटी कोतवाली के पीछे चुन्नीलाल का बाड़ा, जबलपुर, मध्य प्रदेश
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈