सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ’
(संस्कारधानी जबलपुर की सुप्रसिद्ध साहित्यकार सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ ‘जी सेवा निवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश, डिविजनल विजिलेंस कमेटी जबलपुर की पूर्व चेअर पर्सन हैं। आपकी प्रकाशित पुस्तकों में पंचतंत्र में नारी, पंख पसारे पंछी, निहिरा (गीत संग्रह) एहसास के मोती, ख़याल -ए-मीना (ग़ज़ल संग्रह), मीना के सवैया (सवैया संग्रह) नैनिका (कुण्डलिया संग्रह) हैं। आप कई साहित्यिक संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत एवं सम्मानित हैं। आप प्रत्येक शुक्रवार सुश्री मीना भट्ट सिद्धार्थ जी की अप्रतिम रचनाओं को उनके साप्ताहिक स्तम्भ – रचना संसार के अंतर्गत आत्मसात कर सकेंगे। आज इस कड़ी में प्रस्तुत है आपकी एक अप्रतिम रचना – नवगीत – बस वेदना ही वेदना है…।
रचना संसार # 8 – नवगीत – बस वेदना ही वेदना है… ☆ सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ’
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लगे पैबंद कपड़ों में उनके,
फ़ीकी पड़ती आस।
गुज़र रहे दिन भी अभाव में,
खोया है विश्वास।।
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बस वेदना ही वेदना है,
रूठा है शृंगार।
अंग-अंग में काँटे चुभते,
चलते हैं अंगार।।
मन अधीर तृषित धरा भी,
कौन बुझाये प्यास।
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चीर रही उर पिक की वाणी,
कांपें कोमल गात।
रोटी कपड़ा मिलना मुश्किल,
अटल यही बस बात।।
साधन हीन हुआ उर गूँगा,
करें लोग परिहास।
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आग धधकती लाक्षागृह में,
विस्फोटक सामान।
अन्तस जलता घुटता दम है,
कैसा है तूफ़ान।।
हुआ अभिशप्त जीवन सारा,
चीख रही हर साँस।
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© सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ’
(सेवा निवृत्त जिला न्यायाधीश)
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