श्री श्याम खापर्डे
(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण कविता “रिश्ते और दर्द”)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 179 ☆
☆ # “रिश्ते और दर्द” # ☆
जब कभी चलते चलते
जीवन रूक जाता है
सांस का तूफान
दर्द में छुप जाता है
जब जीवन का अर्थ
समझ में आता है
तब अहंकार का भरम
अचानक टूट जाता है
चाहे कितना भी बलशाली हो
आंखों में धन की हरियाली हो
जब देखते देखते टूटतीं हैं सांसें
तब लगता है हाथ कितने खाली हैं
हर पल जिनके लिए जीते हैं
दुःख दर्द जिनके लिए पीते हैं
वो ही जब फेर लेते हैं आंखें
कांपते होठों को
मजबूरी में सी लेते हैं
किससे कोई फरियाद करें
किसको बताएं ,
किसको याद करें
किसको अब हमारी परवाह है
कोई क्यों अपना समय बर्बाद करें
रिश्ते भी यहां पर अजीब हैं
कौन किसके यहां कितने करीब हैं
परस्पर देते हैं
एक दूसरे को धोका
रिश्ते निभ जाये तो
उसका नसीब है
रिश्तों और दर्द का संबंध
बहुत पुराना है
इस मे बंधा हुआ
सारा ज़माना है
मौत भी इनको
जुदा नहीं करती
हर जगह गूंजता
यही तराना है /
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© श्याम खापर्डे
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