श्री सुरेश पटवा

(श्री सुरेश पटवा जी  भारतीय स्टेट बैंक से  सहायक महाप्रबंधक पद से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं और स्वतंत्र लेखन में व्यस्त हैं। आपकी प्रिय विधा साहित्य, दर्शन, इतिहास, पर्यटन आदि हैं। आपकी पुस्तकों  स्त्री-पुरुष “गुलामी की कहानी, पंचमढ़ी की कहानी, नर्मदा : सौंदर्य, समृद्धि और वैराग्य की  (नर्मदा घाटी का इतिहास) एवं  तलवार की धार को सारे विश्व में पाठकों से अपार स्नेह व  प्रतिसाद मिला है। श्री सुरेश पटवा जी  ‘आतिश’ उपनाम से गज़लें भी लिखते हैं ।प्रस्तुत है आपका साप्ताहिक स्तम्भ आतिश का तरकशआज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण ग़ज़ल अहवाल दिल का पहले काँटों से पूछ ले…” )

? ग़ज़ल # 124 – “अहवाल दिल का पहले काँटों से पूछ ले…” ☆ श्री सुरेश पटवा ‘आतिश’ ?

रोशनदान  नहीं  अंधेरों की बात कर,

तू मत सियासी सियारों की बात कर।

*

झुलस ले तू मई की तपती दुपहरी में,

बाद उसके मस्त फुहारों की बात कर।

*

अहवाल दिल का पहले काँटों से पूछ ले,

तब तू ख़ुशबू ओ गुलज़ारों की बात कर।

*

ख़ुद तू कितना बरहम है इन हैवान से,

मत रोज बिकते अख़बारों की बात कर।

*

बेशुमार दर्द पलता रक्काशा के दिल में,

तू मत घुँघरू के झंकारों की बात कर।

*

सुनसान  कमरे में  बैठा  क्या  सोचता,

बाहर निकल मत अंधियारों की बात कर।

*

आतिश ज़मीन पर ज़िंदगी भरपूर जी ले,

ना  आसमान पर  सितारों की बात कर।

© श्री सुरेश पटवा ‘आतिश’

भोपाल, मध्य प्रदेश

≈ सम्पादक श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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