श्री श्याम खापर्डे

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण कविता स्कैम

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 181 ☆

☆ # “स्कैम ” #

आजकल नये नये खेल

नये नये गेम हैं  

नयी नयी तरकीबें हैं

नये नये स्कैम हैं

पैसे कमाने के

नये नये ऐप हैं

जुड़ी हुई है कई हस्तियां

बदल रहे हैं

रोज नये नये शेप हैं

धड्डले से चल रहा है धंदा

दे रहे है मोटा मोटा चंदा

बड़े लोगों का खेल है सारा

परेशान है गरीब बंदा

 

अब तो परिक्षा में भी

फिक्सिंग की जा रही है

मुंहमांगी कीमत लेकर

सीट दी जा रही है

सामान्य व्यक्ति का बच्चा

कैसे इनका सामना करें

कहां से लाये सिफारिश

बड़ी रकम कहां से भरे

सालभर मेहनत करके भी

वो रैंकिंग में पिछड़ गया

सीट नही मिली तो

उसका कॅरियर बिगड़ गया

पैसे और पहुंच का यह खेल

कब-तक चलता रहेगा

गरीब

गरीब व्यक्ति का बंदा

कब तक अमीरों से छलता रहेगा

यह कोचिंग, अकॅडमी  का व्यवसाय

दिन दूना रात चौगुना

फलफूल रहा है

असहाय, निर्धन उमीदवार

काबलियत के बावजूद

अंधकार में झूल रहा है

इस पर कड़ी बंदिशें जरूरी हैं

कानून की गिरफ्त अधूरी हैं

ये स्कैम कब बंद होंगे

कोई बताए ‍

जिम्मेदारों की क्या मजबूरी है ?

*

© श्याम खापर्डे 

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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