श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी  के साप्ताहिक स्तम्भ  “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है  “मनोज के दोहे। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।

✍ मनोज साहित्य # 133 – मनोज के दोहे ☆

बना सिकंदर है वही, जिसने किया प्रयास।

कुआँ किनारे बैठकर, किसकी बुझती प्यास।।

*

अखबारों में छप रहे, बहुत मतलबी लोग।

कर्म साधना में जुटे, पाते मक्खन भोग।।

*

उत्पादक उपभोक्ता, बीचों-बीच दलाल।

किल्लत कर बाजार में, कमा रहा है माल।।

*

बहुत पढ़े सद्ग्रंथ हैं, पर हैं कोसों दूर।

प्रवचन में ही दीखते, खुद को माने शूर।।

*

दौंदा बड़ा लबार का, राजनीति में योग।

भक्त बने बगुला सभी, लुका-छिपी का भोग।।

©  मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संपर्क – 58 आशीष दीप, उत्तर मिलोनीगंज जबलपुर (मध्य प्रदेश)- 482002

मो  94258 62550

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

image_printPrint
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments