डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं भावना के दोहे।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 237 – साहित्य निकुंज ☆
☆ भावना के दोहे ☆ डॉ भावना शुक्ल ☆
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तपती है कैसे धरा, बादल सुनो पुकार।
पंछी व्याकुल हो रहे,पानी की दरकार।।
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खेतों में हम गा रहे,सुनो मेघ मल्हार।
ईश्वर सुनिए आप अब, मेघ करो बौछार।।
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जगह जगह पर बाढ़ है, यहां नहीं बरसात।
कब आओगे मेघ तुम, नहीं बीतती रात।।
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आज हमें तो लग रहा,आएगी बरसात।
विनती सुन ली ईश ने, बदरा छाए रात।।
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© डॉ भावना शुक्ल
सहसंपादक… प्राची
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