श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी  के साप्ताहिक स्तम्भ  “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण कविता “स्मृतियों के आँगन में…”। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।

✍ मनोज साहित्य # 134 – स्मृतियों के आँगन में… ☆

स्मृतियों के आँगन में यह,

काव्य कुंज का प्रतिरोपण ।

रंग – बिरंगे पुष्पों जैसे,

भावों का तुमको अर्पण ।

*

कविताओं में अनजाने ही,

लिख बैठा मन की बातें ।

मैं कवि नहीं,न कविता जानूँ ,

न जानूँ जग की घातें ।

*

आँखों से जो झलकी बॅूंदें ,

उनको लिख कर सौंप रहा ।

मन के उमड़े भावों की मैं ,

हृदय वेदना रोप रहा ।

*

माटी की यह सौंधी खुशबू ,

जब छाएगी घर आँगन में ।

संस्कृतियों के स्वर गूँजगे ,

सदा सभी के दामन में ।

*

यही धरोहर सौंप रहा मैं,

तुम मेरी कविताएँ पढ़ना ।

जब याद तुम्हें मैं आऊॅं तो ,

अपने कुछ पल मुझको देना ।

©  मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संपर्क – 58 आशीष दीप, उत्तर मिलोनीगंज जबलपुर (मध्य प्रदेश)- 482002

मो  94258 62550

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

image_printPrint
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments