श्री श्याम खापर्डे

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण कविता मौसम बड़ा सुहाना है

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 184 ☆

☆ # “मौसम बड़ा सुहाना है” #

आजकल मौसम बड़ा सुहाना है

रिमझिम बूंदों से रिश्ता पुराना है

*

कबसे प्यासा है यह तन और मन

कबसे व्याकुल था भिगने यह बदन

कबसे आंखें बिछाए बैठा है यह चमन

भिगने और भिगोने का जमाना है

*

वसुंधरा पर छा रही है हरियाली

कितना खुश है बगिचे का माली

अमराई में कूक रही है कोयल काली

यौवन का प्रकृति लुटा रही खजाना है

*

पगडंडी यों पर छोटे छोटे पांव है

खेती में जुटे गांव के गांव है

पानी में चलती छोटी छोटी नाव है

माटी की सौंधी सुगंध से दिल लुभाना है

*

वो दोनों भीग रहे हैं लेकर हाथों में हाथ

ऐसे लिपटे है मानो जनम जनम का हो साथ

 होंठ खामोश है

आंखों से हो रही है बात

भीगी हुई काया का हर शख्स दीवाना है

*

सबकी आंखों में रंगीन सपने है

इंद्रधनुष के सात रंग लगते अपने है

प्रियतम के बिना कहां अच्छे लगने है

प्रित अमर है फिर इसे क्यों छुपाना है ?

*

आजकल मौसम बड़ा सुहाना है

रिमझिम बूंदों से रिश्ता पुराना है

© श्याम खापर्डे 

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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