श्री राकेश कुमार
(श्री राकेश कुमार जी भारतीय स्टेट बैंक से 37 वर्ष सेवा के उपरांत वरिष्ठ अधिकारी के पद पर मुंबई से 2016 में सेवानिवृत। बैंक की सेवा में मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान के विभिन्न शहरों और वहाँ की संस्कृति को करीब से देखने का अवसर मिला। उनके आत्मकथ्य स्वरुप – “संभवतः मेरी रचनाएँ मेरी स्मृतियों और अनुभवों का लेखा जोखा है।” आज प्रस्तुत है व्यंग्य की शृंखला – “देश -परदेश ” की अगली कड़ी।)
☆ व्यंग्य # 91 ☆ देश-परदेश – अंतरराष्ट्रीय विवाह ☆ श्री राकेश कुमार ☆
आज प्रातः काल फोन की घंटी बजी प्रथम तो हमें भ्रम सा प्रतीत हुआ, क्योंकि हमारे फोन पर कॉल आवक शून्य है, हां, जावक ही जवाक हैं। सभी परिचित विभिन्न समूहों में ही हमारे लेख पर प्रतिक्रिया देकर अपने जीवित रहने का प्रमाण दे देते हैं।
फोन करने वाले की आवाज कुछ पहचानी सी लगी, लेकिन उसने बताया वो फलां ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज से बोल रहा है। उसने शिकायत भरे अंदाज में बोला कि आपने, अपने लेख में हमारे परिवार के विवाह को उसके वैभव से बहुत कम आंका है, वो देश या राष्ट्रीय विवाह के स्तर से कहीं बढ़ कर अंतरराष्ट्रीय स्तर से भी ऊपर है।
पूरे विश्व से अनेक बड़ी बड़ी हस्तियां अपने अपने चार्टर्ड विमानों द्वारा कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए आ रहे हैं। इतनी अधिक संख्या में विमानों की पार्किंग पड़ोस के कुछ हवाई अड्डों तक पर भी की जा रही हैं।
आप अपनी गलती को सुधार कर इसके वास्तविक स्वरूप को जनता के समक्ष प्रस्तुत करें।
हमने डरते हुए क्षमा याचना मांग कर, अपनी भूल को माफ करने का आग्रह किया। इसके साथ हमने विश्वास दिलाया कि हम आज ही इस विवाह को अंतरराष्ट्रीय स्तर का मान कर लेख लिख देंगे।
सामने वाले ने कहा वो तो ठीक, लेकिन जब आप मुंबई में रहे थे, तो हमारी सेवाएं क्यों नहीं ली ? हमारा मोबाइल कभी भी उनके रिकॉर्ड में दर्ज नहीं हैं। यदि आपने वहां कभी सेवाएँ ली होती तो, आप को भी सोन पापड़ी का आधा किलो का डिब्बा मिल जाता।
फिर हंसते हुए वो बोला, हम जॉकी नावेद खान बोल रहे है, और आप रेडियो मिर्ची मुर्गा पर लाइव हैं।
© श्री राकेश कुमार
संपर्क – B 508 शिवज्ञान एनक्लेव, निर्माण नगर AB ब्लॉक, जयपुर-302 019 (राजस्थान)
मोबाईल 9920832096
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈