सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ’

(संस्कारधानी जबलपुर की सुप्रसिद्ध साहित्यकार सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ ‘जी सेवा निवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश, डिविजनल विजिलेंस कमेटी जबलपुर की पूर्व चेअर हैं। आपकी प्रकाशित पुस्तकों में पंचतंत्र में नारी, पंख पसारे पंछी, निहिरा (गीत संग्रह) एहसास के मोती, ख़याल -ए-मीना (ग़ज़ल संग्रह), मीना के सवैया (सवैया संग्रह) नैनिका (कुण्डलिया संग्रह) हैं। आप कई साहित्यिक संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत एवं सम्मानित हैं। आप प्रत्येक शुक्रवार सुश्री मीना भट्ट सिद्धार्थ जी की अप्रतिम रचनाओं को उनके साप्ताहिक स्तम्भ – रचना संसार के अंतर्गत आत्मसात कर सकेंगे। आज इस कड़ी में प्रस्तुत है आपकी एक अप्रतिम रचना – नवगीत – कान्हा-मुख-सुषमा प्यारी

? रचना संसार # 14 – नवगीत – कान्हा-मुख-सुषमा प्यारी…  ☆ सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ’ ? ?

जन-मानस को मोहित करती,

कान्हा-मुख-सुषमा प्यारी।

 *

नाथ हाथ में वंशी लेकर,

वंशीवट पर हैं जाते।

नटवर नागर लीला करते,

ग्वाल बाल सब हर्षाते।।

धेनु चराते हैं गोकुल में,

चक्र सुदर्शन हरि धारी।

 *

जन-मानस को मोहित करती,

कान्हा-मुख-सुषमा प्यारी।

 *

सुन वंशी की तान निराली,

थिरके ब्रज की हर बाला।

ग्वाल-बाल सब झूम रहे हैं,

जादू सब पर कर डाला।।

मोहन के अधरों पर शोभित,

वंशी सम्मोहक न्यारी ।

 *

जन-मानस को मोहित करती,

कान्हा-मुख-सुषमा प्यारी।

 *

युगल करों में सजे मुरलिया

सबके मन को है भाती।

मंत्र मुग्ध स्वर करें रसीले,

सुध-बुध सारी खो जाती।।

गोप -गोपियों का मन भटके,

जब-जब आते बनवारी।

 *

जन-मानस को मोहित करती,

कान्हा-मुख-सुषमा प्यारी।

 

© सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ’

(सेवा निवृत्त जिला न्यायाधीश)

संपर्क –1308 कृष्णा हाइट्स, ग्वारीघाट रोड़, जबलपुर (म:प्र:) पिन – 482008 मो नं – 9424669722, वाट्सएप – 7974160268

ई मेल नं- [email protected][email protected]

≈ संपादक – हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकश पाण्डेय ≈

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