डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं आपकी भावप्रवण रचना आँखों से बहती रही…।)
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साथ तुम्हारा चाहिए, तुझमें बसती सांस।
तुमसे ही तो जीवन में, होता है मधुमास।।
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तेरा चेहरा देखकर, मन में उठे विचार।
किया नहीं तुमने कभी, दुख का तो इजहार।।
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कबसे पीड़ा सह रही, बसा हृदय तूफान।
जान न पाए हम कभी, खिली दिखी मुस्कान।।
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आँखों से बहती रही, बहे अश्रु की धार।
तेरे बिन हम कुछ नहीं, हुआ जीना दुश्वार।।
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© डॉ भावना शुक्ल
सहसंपादक… प्राची
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